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समझ आता नहीं पाना किसे है / सुरेखा कादियान ‘सृजना’
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समझ आता नहीं पाना किसे है
किसे रुकना है अब जाना किसे है
तुझे ग़ैरो में अक्सर ढूँढती हूँ
कभी अपना यहाँ माना किसे है
न जाने कौन है खोया हुआ ये
न जाने लौट के आना किसे है
भला क्यूँ हैं खफ़ा मुझसे सितारे
ज़मीं पर चाँद को लाना किसे है
तुम्हारी महफ़िलो में तय नहीं क्या?
किसे है चीखना गाना किसे है?