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समझ न आने वाला / इमरोज़ / हरकीरत हकीर
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					यह एक उसकी बात है 
जो उम्र में मुझसे छोटा था 
पर और किसी तरह से बिलकुल छोटा न था 
इक दिन वह मिलने आया 
उस दिन मैं उसे ही सोच रही थी 
वह मेरे साथ संजीदा होता जा रहा था 
बार - बार उसे देख कर 
मैंने उससे कहा 
जा पहले दुनिया देख आ 
फिर भी अगर मैं तेरी जरुरत हुई 
तो ठीक है...
हम दोनों ही कमरे में थे 
उसने उठकर कमरे के सात चक्कर लगाये 
और बोला - "मैं दुनिया देख आया हूँ"
तुझ जैसा सिर्फ तू ही है 
अपने आप से कहीं ज्यादा 
न समझ आने वाला...
 
	
	

