हे समयातीत
तुम हो
संगत और शुद्ध वर्तमान
वर्तमान जिसमे विगत का मोह नहीं
आगत का भय नहीं
तुम हो जिस पल मैं
वहां दुख या सुख नहीं
केवल लीला है
पूर्ण से प्रकट पूर्ण
पूर्ण मैं समाहित पूर्ण
पूर्ण का पूर्ण मैं विलय हुआ
पूर्ण सदा शेष है