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समय, आ रहा हूँ, इन्तज़ार करो मेरा / समीर ताँती

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1.

समय, इन्तज़ार करो मेरा,

आ रहा हूँ,
दुर्गम गिरि-कन्दरा से,
जलमग्न प्रान्तर से,
मरुभूमि को पार कर,
समुद्र के किनारे-किनारे
अन्धेरे रास्तों से
आ रहा हूँ,
परित्यक्त सन्तान मैं,
माँ का नाम भारतवर्ष।


2.

सुर के मतवाले वे सब

मेरे प्राणप्रिय देव-देवी,
ओठों पर हरियाली का गाढ़ा नशा,
चाँदनी भी ठहर जाती है
रंग-बिरंगी धज देख,
तारे बात करते हैं,
क्या सुनो,
क्या सुनो आज?
सपनों के द्वार पर
विराट् जीवन का गान,
दो आँखों में सदी के लिए आमन्त्रण।


3.

समय, इन्तज़ार करो मेरा

तुम्हारे मृतक को जानता हूँ मैं,
उस अनाम प्यास की बात भी जानता हूँ,
जानता हूँ तुम्हारे इन्द्रजाल के बारे में,
लोकोत्तर चीज़ों का खज़ाना जो,
और जानता हूँ उस अभागे शिशु की बाबत
जिसके ऊपर पहरा दे रहे थे
रास्ते के कुत्ते;
वह जाग गया है
तुमसे प्रश्न पूछने को।


4.

तुम्हारी रक्तवर्णा नदी को

पार कर
माँ की आँखों के आँसू पोछ
आ रहा हूँ
झोंपड़ियों के पास
झुण्ड भर नंगे बच्चों को साथ लिए.
देखो क्या मन्त्र विष्ट वनस्पति तुम्हारी है,
सुन्दर फलों और फूलों का निवेदन,
बाँसुरी बजाती हवा,
विनत घास और पत्ते,
सभी प्रकार के भय से मुक्त कर
सजा रखा है
तुम्हारा सतरंगा तोरण।


5.

समय, इन्तज़ार करो मेरा,

तुम्हारे लिए ला दूँगा नीहारिका,
धुन्ध से ढका झरना
पत्थरों का शिल्प,
मशीनों का तत्त्वज्ञान
आँधी की आदिकथा
गणित की बुनियाद
और दूँगा युवतियों के केशों की
मत्त करने वाली गन्ध,
अक्षरों का नक्षत्र मण्डल।


6.

देखे हैं अपनी माँ की उँगलियों में

आशा के रूप, रंग, शब्द?
उनमें ब्रह्माण्ड का स्पर्श है,
ममता की वृष्टि है,
फ़सलों की मादकता है.
मेरी माँ,
मेरी जन्म की दुखियारी माँ,
कौन माँ को दे सकता है विषाद अब?
मैं आ रहा हूँ
हज़ार सदियों को समेट
शाम के पहले-पहले।


7.

अन्धेरे के युग की यातना सहने के बाद

माँ ने कहा मुझसे,
इस मिट्टी की साधना करो,
सूर्य के साथ चलो,
चाँदनी के देश जाओ,
मृतकों को सम्मान दो,
जीवितों को स्वप्न,
मृत्यु का सामना करो,
समय का हाथ पकड़ो।


8.

समय इन्तज़ार करो मेरा,

मैं आ रहा हूँ
शब्द के अश्व पर सवार
बादलों को हटाकर,
मृत्यु से जीवन की ओर,
हताशा से आशा की ओर,
हँसो,समय, हँसो,
दिल में बजे वंशी,
महाशून्य मुखर हो,
धुएँ के उस पार तक उड़ जाय
प्राणों का कपोत-दल।

समीर ताँती की कविता : ’हमय, आहि आसों मोलइ बाट सोवा’ का अनुवाद
शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल असमिया से अनूदित