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समय-3 / दुष्यन्त

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गहरे होते हैं
समय के घाव
नहीं मिटते डिटर्जेंट से

नहीं मिटते साबुन से
समय के घाव

होते हैं अनमिट
बेमाता के लेख की तरह।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा