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समय आ गया है जगह ढूँढ़ने का / यूनीस डिसूजा / ममता जोशी

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समय आ गया है जगह ढूँढ़ने का
एक दूसरे से
सम्वादविहीन रहने का

बहुत बकबक की है मैंने
स्टाफ़ रूम, गलियारों और रेस्तरांओं में
जब तुम पास नहीं होते
मैं मन ही मन बहुत बातें करतीं हूँ

इस कविता में भी
ज़रूरत से ज़्यादा हैं
ये अड़तालिस लफ़्ज़ ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : ममता जोशी