भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समय का चेहरा / हरजेन्द्र चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुत्ते को घास खाते
गाय को हड्डी चबाते
देखा मैंने
आज शाम
कूड़ाघर के पास

भूख के सिर बंधेगा परिवर्तन का सेहरा
कैसा-कैसा होता जा रहा
समय का चेहरा...

रचनाकाल : 14 जून 1993, नई दिल्ली