जिसका एक छोर है पूरब में,
और दूसरा पश्चिम में
सूरज, जिसकी पुतली है
जो, जब खुलती है तो सूर्योदय होता है
और मुंदती है तो सूर्यास्त।
-उस दिव्य और विराट आंख से
कौन देखता रहता है टकटकी लगाए दिन भर
समय की नदी के उस पार?
उस पिता की मानिंद-
जिसकी नजर अभी-अभी विदा हुई
उसकी बेटी की डोली का पीछा कर रही हो।