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समय की नदी के उस पार! / विनोद शर्मा

जिसका एक छोर है पूरब में,
और दूसरा पश्चिम में
सूरज, जिसकी पुतली है
जो, जब खुलती है तो सूर्योदय होता है
और मुंदती है तो सूर्यास्त।

-उस दिव्य और विराट आंख से
कौन देखता रहता है टकटकी लगाए दिन भर
समय की नदी के उस पार?

उस पिता की मानिंद-
जिसकी नजर अभी-अभी विदा हुई
उसकी बेटी की डोली का पीछा कर रही हो।