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समय के निशान / रश्मि रेखा
Kavita Kosh से
एक अर्से बाद जब
तुम्हारे अक्षरों से मुलाक़ात हुई
वे वैसे नहीं लगे
जैसे वे मेरे पास हैं
भविष्य के सपने देखते
मेरे अक्षर भी तो
रोशनी के अँधेरे से जूझ रहे हैं
अब तो ख़ुद से मिलना भी
अपने को बहुत दुखी करना है
यह सब जानते हुए भी
एक ख़त अपने दोस्त को लिखा
और उसे बहुत उदास कर दिया
पत्र पाने की खुशी के बावजूद
सचमुच समय चाहे
जितनी तेजी से नाप ले डगर
अमिट ही रह जाते हैं
उसके क़दमों के निशान