समय के मोल / अंगिका दोहा शतक / राहुल शिवाय
बड़ी समय के मोल छै, करोॅ नै तों विश्राम ।
छोडोॅ नै कल पेॅ कभी, ‘राहुल’ अपनोॅ काम ।1।
कभी लौटलौ छै भला, बितलोॅ कल हो भाय ।
हरा फेरु नै होय छै, पतझड पात ‘शिवाय’ ।2।
कल-कल करला सेॅ सदा, बिगडै छै सब काम ।
‘राहुल’ नै करथौं समय, कटियो टा विश्राम ।3।
एक पल ‘राहुल’ नै करोॅ, समयोॅ केॅ बर्बाद ।
फसलोॅ केॅ काटै घड़ी, छीटै नै छै खाद ।4।
समय कभी डिगलै कहाँ, कत्तो झौंका तेज ।
बड़का-बड़का शूरमा, समयोॅ लग निस्तेज ।5।
एकरै मेॅ तेॅ छै भला, चलोॅ समय के साथ ।
बिना समय के साथ के, कुछ नै ऐथौं हाथ ।6।
समय साथ मेॅ जे चलै, पैतै ‘राहुल’ जीत ।
जीतोॅ के चाहत अगर, समय बनाबोॅ मीत ।7।
यश-अपयश सब्भै छिकै, समय-समय के बात ।
लगलै सूरज पर ग्रहण, होलै दिन्है में रात ।8।
सुख-दुःख दोनों मेॅ सदा, समय छै एक समान ।
नै कोनो करुणा-रुदन, नै कोनो मुस्कान ।9।
‘राहुल’ के कहना इहे, समय लिखै छै भाग ।
काम समय के साथ मेॅ, समयोॅ सेॅ अनुराग ।10।
रचनाकाल- 1 जनवरी 2013