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समय जब बोलेगा / सुमति बूधन

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तेरी कुठाओं से कुंठित हुई।
तेरी प्रतिबंधों से प्रतिबंधित हुई ।
यह मेरी निर्बलता का प्रतीक नहीं,
यह मेरे भाग्य की लकीर नहीं,
यह मेरे कर्म का फल भी नहीं ।

यह तेरी नपुसंकता का आधार है,
यह तेरी नृशंसता का घिनौनापन है,
यह तेरी निर्लज्जता का उद्घाटन है।

मैं आदर्शों का दंभ नहीं हूँ,
मैं शतरंज की हर नहीं हूँ
मैं झूठ का मुखौटा भी नही हूँ ।

तू बार-बार चिल्लाया है
और इस चिल्लाहट की अनुगूँज ने
मुझे बार-बार नंगा किया है।

और नैं बार-बार इसलिए चूप रही
क्योंकि इस नंगेपन से जन्मा कल,
अंधा, बहरा, और गूँगा नहीं होगा ।