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समय दर्द से जब रिहाई न दे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
समय दर्द से जब रिहाई न दे।
कोई रास्ता तब दिखाई न दे॥
रहे बद्दुआओं में लिपटी हुई
हमें ऐसी कोई कमाई न दे॥
तरसता रहे दिल सदा वस्ल को
कभी ऐसी हम को जुदाई न दे॥
जगह दिल के है कोई पत्थर रखा
उसे आह भी अब सुनाई न दे॥
न इंसाफ़ करता ज़माना कभी
किसी को तू अपनी सफ़ाई न दे॥