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समय फिरल कि अब वसंत आ गइल / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

समय फिरल कि अब वसंत आ गइल
कली-कली चमन के खिलखिला गइल

भरत सुगन्ध मन्द बह चलल पवन
उमंग के तरंग दिल बहा गइल

जिया हुलस गइल मिलन के याद में
कोइल कहीं से प्रीत-गीत गा गइल

नयन के ताल में लहर उठल बहुत
कबो बा दिल के चोर आ नहा गइल

अजीब मीठ दर्द देह में उठल
सुई जिगर में बा केहू चुभा गइल

कबो लुका के झाँक नील में गइल
घटा नियर केहू हिया में छा गइल