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समय सारिणी / शशि पाधा
Kavita Kosh से
देहरी द्वारे रंग बदलना
जीने के सब ढंग बदलना
बदलोगे जब दीवारों पे
टंगी पुरानी समय सारिणी।
नव पृष्ठों पर लिखना तब तुम
नई उमंगे, नव अनुबंध
खाली तिथियों में भर देना
स्नेह, प्रेम, सुहास आनन्द
संकल्पों के शंख नाद में
गूंजेगी नव राग रागिनी।
विवेक ज्ञान से जरा सोचना
मिटेगी कैसे भूख लाचारी
झोली भर विश्वास बांटना
मिटे रुदन, शोषण बेकारी
अंधियारों में भी पंथ आलोकित
करेगी नभ की ज्योत दामिनी।
गाँठ बाँध तू संग ही रखना
बीते कल की सीख सयानी
सुलझा देगी मन की उलझन
पुरखों की अनमोल निशानी
पग पग अंगुली थाम चलेगी
भावी सुख की भाग वाहिनी।