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समय / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
खुशबू बहुत याद आती है
हरियाली बहुत अधिक याद आती है
और जहां कुछ भी नहीं रोमांचक
वहां से भाग निकलने की इच्छा जल्दी से जल्दी
मैं अपने समय को इसी तरह से
कितने ही हिस्सों में बांट लेता हूं
और कोशिश करता हूं
आनंदित करने वाला समय
इसमें सबसे अधिक हो
बाकी समय बोझ की तरह है
चाहे वे आवागमन की परेशानियां हों
बिगड़ते हुए कामों का दुख
या नाराज लोगों के चेहरे
सभी से दूर हो जाना चाहता हूं।