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समय / सुशान्त सुप्रिय
Kavita Kosh से
समय वह चौड़ी नदी है
जिसमें तुम और मैं
महज़ जल की दो बूँदें हैं
समय वह तपता मरुस्थल है
जिसमें तुम और मैं
महज़ रेत के दो कण हैं
समय वह अनंत आकाश है
जिसमें तुम और मैं
महज़ दो टिमटिमाती रोशनियाँ हैं
समय वह विराट् महासागर है
जिसमें तुम और मैं
महज़ तट से टकराती दो लहरें हैं...