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समाधान / ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज'

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रोकने से रुक सकेंगे
क्या कभी गतिमय चरण
कब तलक हैं रोक सकते
सिन्धु को शत आवरण।

जो क्षितिज के छोर को है
एक पग में नाप लेता
क्षुद्र लघु प्राचीर उसको
कब तलक है बॉ़ध सकता।

बंद कर जो चल चुका है
सॉंस में जीवन-मरण
व्योमचारी वह करेगा
सतत निज पद प्रसारण!