भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समाधि-तीन / तुलसी रमण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्राणियों की देह-देह
बर्फ़ के भीतर
सुलग रही आग

हर घर से उठ रहा
            निरंतर
धुआँ-धुआँ जीवन
श्वेत आच्छादन के नीचे
मिट्टी का दीया जलता हुआ

रोशनी में सिर झुकाए
साधना में मौन
मनुष्य
पशु और पेड़
अक्तूबर 1990