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समाधि-तीन / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
प्राणियों की देह-देह
बर्फ़ के भीतर
सुलग रही आग
हर घर से उठ रहा
निरंतर
धुआँ-धुआँ जीवन
श्वेत आच्छादन के नीचे
मिट्टी का दीया जलता हुआ
रोशनी में सिर झुकाए
साधना में मौन
मनुष्य
पशु और पेड़
अक्तूबर 1990