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समाधि-लेख / पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ / अज्ञेय
Kavita Kosh से
एक समुद्र, एक हवा, एक नाव,
एक आकांक्षा, एक याद :
इन्हीं के लाये मैं यहाँ आया।
यानी तुम्हारे।
पर तुम कहाँ हो? कौन-से किनारे?
1970