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समाधि-लेख / रसूल हम्ज़ातव
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जब ज़िन्दा था
प्यार किया था
मर कर लेटा
आज यहाँ
कौन बगल में
मेरी लेटी
मुझको कुछ भी
नहीं पता
अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक