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समाधि / शीतल साहू
Kavita Kosh से
समाधि का अर्थ है
बुद्धि की वह सोच
मन का वह भाव
चित्त की वह स्थिति
जिसमे,
कोई कर्म ना शुभ हो ना अशुभ
किसी की ना निंदा हो ना स्तुति
कोई विचार ना अच्छा हो ना बुरा।
ना सुख हो ना दुख
ना प्रेम हो न घृणा
ना सत हो ना असत
ना जन्म हो ना मृत्यु
ना आदि हो न अंत।
अंतर का लोप हो जाना
भेद का मिट जाना
अहं का शून्य हो जाना
चेतना का अनंत हो जाना।
बून्द से सागर बन जाना
दास से स्वामी हो जाना
शून्य से अनंत में समा जाना
तराजू के दोनों पलड़ों का सम हो जाना
सम भाव में अधिस्थापित हो जाना ही समाधि है।