भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समीकरण / निज़ार क़ब्बानी
Kavita Kosh से
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
इसलिए हूँ मैं
वर्तमान में ।
मैं लिखता हूँ, प्रिय
और पुनः पा लेता हूँ
बीते कल को ।