भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समुद्र-5 / पंकज परिमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारी नाप-जोख
समुद्र की तलहटी से शुरु होती है
समुद्र न होता
तो पहाड़ की ऊँचाई को
आखिर काहे से नापते