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समुद्र तट की ओर उड़ते हुए-3 / इदरीस मौहम्मद तैयब

मेरी नन्हीं मरियम के नाम

एक समय, मेरा छोटा पक्षी
एक आदमी था जो तितली बनना चाहता था
उस सड़क पर मँडराता रहा जो
सुखद अचरजों के शहर को जाती है
जो एक गाँव में ख़त्म होती है
साफ़ दिल बादलों की तरह सफ़ेद
जहाँ बच्चे चैरी जैसी मधुर
कविताएँ सुनाते हैं
धरती हर मौसम में देती है अनाज की बालियाँ
जो अब गीतों की गरमाहट से पक चुकी हैं
सभी बच्चे, सुनहरे सूरज का ताज पहने
नृत्य महोत्सव में सम्मिलित होते हैं
सब अपनी जेब में रखते हैं
कुछ मिठाई, कुछ हँसी
और हाथ में, एक तितली ।

रचनाकाल : त्रिपोली, 13 दिसम्बर 1979
अँग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस