इस सिरे से
उस सिरे तक
गहन ठंडा
नंगा, बेधता
तुम्हारे अस्तित्व को नकारता
भेजे गए थे जिस लिए
मिला नहीं वैसा कुछ
बस एक हल्की-सी छवि
बनती है
लगातार देखने के बाद
किसी-किसी की
समझ आता है भेद
खोज पाता है वो
अपने धागों के सिरे
और हाथ
जो नचाता है
लौट चलो
लपेट लो धागे अपने
इससे पहले कि
उलझ जाएँ ये समय की गेंदें।