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सम्पूर्ण जलमंडल को मथते हुए / महेश वर्मा
Kavita Kosh से
नदी कोई नहीं हमारे शहर में
शायद इसीलिये नहीं कोई नाविक ।
थोड़ी दूर पर जो नदियाँ हैं
इतनी वे चौड़ी नहीं कि चलाई जा सके नाव ।
बच्चों की नाव के लिहाज़ से थोड़ा तेज
इनका बहना, ठुनकना ।
यात्रा में कहीं जाते ट्रेन पर अचानक
कोई नदी आ जाए कि पुल की गडगडाहट से ही जागे थे,
यहीं दिखाई पड़ते हैं : नाविक और नाव।
दूर से नाव का चलना नहीं दीखता
नाविक की देह का आलोडन बस दिखाई देता है ।
(कि अकेले
अपनी डान्ड चला रहा है )