लिसानुलहिन्द, अदीबे-रूहानियत व शायरे-इख़्लाकियत जनाब रतन पंडोरवी पंजाब के माहिरे-फ़न और संजीदा फ़िक्र शायर हैं। दरवेशाना ज़िन्दगी बसर करते हैं। उन की सादगी और दरवेशी का असर उन की शायरी पर भी है। अक्सर सूफ़ियाना मसाइल को पेशे-नज़र रक्खा है।
लिसानुलहिन्द, अदीबे-रूहानियत व शायरे-इख़्लाकियत जनाब रतन पंडोरवी पंजाब के माहिरे-फ़न और संजीदा फ़िक्र शायर हैं। दरवेशाना ज़िन्दगी बसर करते हैं। उन की सादगी और दरवेशी का असर उन की शायरी पर भी है। अक्सर सूफ़ियाना मसाइल को पेशे-नज़र रक्खा है।