भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरकारी योजना के लगल भरमार हे / सिलसिला / रणजीत दुधु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देेखऽ जनता पर मेहरबान सरकार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।

सरकार से हर अदमी के जुड़लो नाता
जन-धन योजना से खुललो बैंक में खाता
न´ काम करेवाला के तो फटकार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।

सर्व शिक्षा अभियान में मिल रहल हे खाना
बनलो इसकुल के मकान, बनलो पैखाना
मुफ्त शिक्षा पावे ले शिक्षा के अधिकार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।

हर तबका के खूब हो रहलो हे विकास
गरीब ले बन गेलो हे इंदिरा आवास
दे रहल मनरेगा सबके रोजगार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।

झलक रहल सरकार के सफल मनोविरती
शुभ योजना साईकिल पोशाक छात्रविरती
मुफ्त पाठ्य पुस्तक जइसन सुविचार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।

साहुकार के करजा से मिल गेले मुक्ति
सफल जीवन जीये के बना देलक युक्ति
के सी सी लोन से किसान के दरकार हे
सरकारी योजना के लगल भरमार हे।