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सरकारी ‘गेस्ट’ / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
जंगल में बलवान शेर ने
किए बड़े घोटाले,
एक डायरी से ‘सी॰ बी॰ आई॰’
को मिले हवाले।
कहा शेर ने, जब ‘अरैस्ट’
होने की आई बारी –
‘रैस्ट’ करूँगा अब कुछ दिन मैं
‘गैस्ट’ बनूँ सरकारी’।
[रचना: 9 अक्तूबर 1996]