भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरकार / कुमार संभव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जेकरोॅ कोय
आकार नै होय छै
जनता के जरूरत सें
दरकार नै होय छै
भाषण पर ही देश चलै
आरोॅ हर जगह
जय-जयकार होय छै
यहेॅ तेॅ सरकार होय छै।