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सरजू के तीर चलो गोरी / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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सरजू के तीर चलो गोरी,
जहाँ राजकुंअरि खेलें होरी।
सखन सहित इत जनक दुलारी,
अनुज सखन संग रघुबीरा जी। जहाँ...
भरि अनुराग फाग सब गावत,
खेलत सब हिलमिल होरी। जहाँ...
केसर रंग भरे पिचकारी,
मलत कपोलन पे रोरी। जहाँ...
अपनी-अपनी घात तके दोऊ,
दाव करत बरजोरी। जहाँ...
कंचन कुंअरि नृपत सुत हारे,
जीती जनक किशोरी।
सरजू के तीर...