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सरनामी हिन्दी / सुरजन परोही
Kavita Kosh से
सरनामी हिन्दी हमारी बोलचाल भाषा है
भारत जैसे हमें इसे अपनाना है
हिन्दी जिन्दा तो धर्म-कर्म जिन्दा है
नहीं तो धर्म ग्रन्थ कागज का पुलिन्दा है
हिन्दी में गीता कुरान पढ़ सकते हैं
बिना अनुबाद के अर्थ समझ सकते हैं
हे भावी जवान अगर स्वयं पर अभिमान है
तो समझो सूरीनाम भी दूसरा हिन्दुस्तान है।
विराट भारत के टुकड़े हजार हुए
कुछ यहाँ तो कुछ वहा बिखर पड़े
जो कुछ भी पाए हो भारत का रक्त है
दर्पण में देखो रे भारत अभिव्यक्त है।
चेहरे से दर्पण को सब कुछ पता है
कल हम क्या थे और आज क्या हैं।
भूलो न हिन्दी न भूलो सरनामी
अपने पूर्वजों की है ये निशानी।