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सरयू नदी / रवि प्रकाश

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मेरा समग्र अकेलापन

सरयू के तीरे

एक पत्थर में कैद है !

जिसकी आजादी की शर्त

सरयू अपने साथ समंदर में बहा ले गई

और मुझे अकेला छोड़ गई !


मैं आज भी वहीँ तीरे पर बैठा हूँ !

सरयू मेरा पांव तुम्हारे सीने मैं है,

फिर भी तुम बहे जा रही हो !

मुझे अपने सीने में लो सरयू

थोड़ी देर रुको ,सुनो सरयू

मैं वही,तुम्हारी रेत का बंजारा हूँ !


सरयू एक बार मेरे सीने में बहो

और तोड़ दो मेरी चुप्पी को !