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सरल सूत्र / हरिओम राजोरिया

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वे अपराधी तो थे
पर किसी पंजी में उनके नाम
कुछ भी दर्ज नहीं था

वे कुछ भी दर्ज नहीं करते थे
वे सविधान से इतने ज़्यादा ऊपर उठे हुए थे
कि नीचे बहुत जगह ख़ाली थी

अत्याचार के सरल सूत्र थे उनके पास
सत्ता की कुर्सी पर
उस्तरा लिए बैठे थे
ऐसे काटते कि
टाँका लगाना भी मुश्किल हो जाता

बहुत सारे काम थे उनके पास
समुदायों के बीच घृणा फैलाना
वेरोजगार लड़कों को दंगाई बनाना
खुल्ला झूठ इस तरह बोलना
कि सुनकर सफ़ेद झूठ भी
शर्म से पानी पानी हो जाए

निस्संकोच निरापराध नागरिकों को मारते हुए
इतने ज़्यादा ईश्वरवादी थे
कि हत्याएँ और घर जलाने का काम भी
ईश्वर को साक्षी मानकर करते
वे संविधान की शपथ लेकर
झूठ बोलते हुए ही सत्ता में आए थे

वे संसार को मायारूप
और मनुष्य को
बहुत ही तुच्छ जीव मानते थे
स्त्री उनके लिए पहले से ही अपवित्र थी
घर जलने और तेजाब फेंकने की
कोई नई ख़बर सुनकर ही उन्हें नींद आती

लीला करना, नाना रूप धरना
झूठ के पहाड़ पर बैठकर मुस्कुराना
निरापराध को जेल भेजना
और हत्यारों को छुड़वाना
कानून से इस कलात्मकता के साथ खेलना
कि सब कुछ टूटकर भी
पवित्र न्याय साबुत बचा रहे
इतना विभ्रम और धुन्ध फैलाना
कि सच और झूठ का फ़र्क मिट जाए

वोट से ही आए थे
जनतन्त्र की उँगली पकड़े हुए
कितने मासूम और भोले जान पड़ते
वे आ ही गए थे और अब कुर्सियों पर डटे
धीरे - धीरे अपेक्षित काम को अनजाम देते हुए
अपने काम में पूरी तरह रम गए थे ।