भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरस्वती वंदना - 2 / दिनेश शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थारे बिन ज्ञान का
नहीं किसे नै बेरा
लै सुर की जननी
कर्जदार संसार तेरा
दयादृष्टि होज्या तै
बणजे जीवन मेरा
दूर कर मूरखता
हर ले अज्ञान अंधेरा