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सरस्वती वंदना - 2 / दिनेश शर्मा

थारे बिन ज्ञान का
नहीं किसे नै बेरा
लै सुर की जननी
कर्जदार संसार तेरा
दयादृष्टि होज्या तै
बणजे जीवन मेरा
दूर कर मूरखता
हर ले अज्ञान अंधेरा