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सरस्वती वंदना / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’

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कंठ विराजो हे सरस्वती
चित प्रकाश जगाओ माँ।
अपने अद्भुत शक्ति से तूं
अंधकार मिटाओ माँ ।।
हंस वाहिनी पुस्तक धारिणी
वेद – मंत्र ऋचा ,हे स्वामिनी ।
कृपा दृष्टि बरसाओ माँ
मुझको आश दिलाओ माँ।।
पावन कर दो मेरे मन को
सावन कर दो इस उपवन को ।
मन का भेद हटाओ माँ
प्रीत ज्योत जलाओ माँ।।
हम नादान अबोधी बालक
माता तुम मेरे प्रतिपालक।
अब तो मत भटकाओ माँ
पथ ऐसा दिखलाओ माँ।।
सच्ची निष्ठा और मृदु वाणी
धर्म – कर्म से बनते ज्ञानी।
नैतिकता बतलाओ माँ
अब मत हमें रिझाओ माँ।।
काली तुलसी कबीर बन गये
कृपा किये तकदीर बन गये।
हमको मत भरमाओ माँ
मुझको भी अपनाओ माँ।।