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सरस बसन्त रिझाबऽ लगलै / बाबा बैद्यनाथ झा

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सरस बसन्त रिझाबऽ लगलै
कोकिल गीत सुनाबऽ लगलै

दूर बसै छल जे परदेसी
मस्त बनल घर आबऽ लगलै

बचलि कोना ओ करैत प्रतीक्षा
प्रियतमकेँ समझाबऽ लगलै

कते विरहिणी आतुर भऽ कऽ
दिनकेँ राति बनाबऽ लगलै

रस-परागसँ भरल फूल सभ
भ्रमरक मन ललचाबऽ लगलै

प्रीति पाबि अपनेकेर ‘बाबा’
गीत उमंगक गाबऽ लगलै