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सरहदी गाँव / नीरज नीर
Kavita Kosh से
तोपों और मोर्टार शेलों के शोर में
गुम हो गयी
बूढ़े की दम्मे की आवाज
फौजी गाड़ी में खींच कर
लिटाये जाने से पूर्व
उसकी बहू को
लगती थी
सबसे भयानक और कर्कश
उस बूढ़े की खांसने की आवाज
अभी किसी को सांस लेने की फुर्सत नहीं है
खांसी भी मानो बूढ़े को भूल गयी है ...
अपने सरहदी गाँव से दूर
कैंप में अपने लिए बिस्तर लगाते हुए
बूढ़े के मुंह में कफ़ की जगह
घुल रहा है
दो दिनों की बासी सब्जी का स्वाद ...