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सरहद के मरहम / अंजना टंडन
Kavita Kosh से
कितने उलझे है सभी
आपाधापी में,
जबकि
इस समय
लिखी जानी चाहिए थीं
दुनिया की
तरलतम प्रेम कविताएँ,
ख़तों के मजमून सी
जिन्हें
प्रेमिकाएँ भेज सकें
गीले बोसे में लपेट,
इस बुरे दौर में यकीनन
ये ही मरहम मानिंद हैं,
सरहद पर इन दिनों जख़्म बहुत है।