भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरिता / एल्युआर
Kavita Kosh से
मेरी जीभ के नीचे
बहती है सरिता
जल...
जिसकी
कल्पना भी नहीं करते हम
मेरी
छोटी-सी नाव
और गिरे हुए परदे
चलो बात करें
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी