भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरौता कहाँ भूलि आये प्यारे नन्दोइय़ा / अवधी
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
सरौता कहाँ भूलि आये प्यारे नन्दोइय़ा
सास खाए बर्फी ननद खाए प़ेड़ा
मैं बेचारी रबड़ी खाऊन
दोना चाटे सैय्याँ -----सरोता
सास को लाये एटलस ननद को मखमल
मैं बेचारी रेशम पहनूं
टाट लपेटे सैय्याँ ------सरोता
सास म्हारी रिक्शा चाले नन्द चढ़े तांगा
मई बेचारी मोटर चालूँ
पैदल चाले सैय्याँ -----सरोता
सासू म्हारी खटिया सोवें ननन्द बिछोना
मैं बेचारी पलन्गा सौउं
भुइयां सोवें सैय्यां ---सरोता