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सर्दियों में चाँद / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
सर्दी में क्यों ठिठुर रहे हो
नभ के चाँद छबीले,
बीमार कहीं मत हो जाना-
नन्हे पथिक हठीले।
चुपके-से मेरे कमरे में
आ जाओ तुम भाई,
हाथ तापने को हीटर है
ओढ़ो गरम रजाई।
या मुझसे कंबल ले जाओ
पहनो स्वेटर प्यारा,
इससे रूप निखर आएगा
सचमुच खूब तुम्हारा!