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सर्दी की धूप / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
सर्दी की बतियाती धूप
आँगन आती-जाती धूप
खुले हरे मैदानों में
खेल कई खिलवाती धूप
हर इक फल-तरकारी में
स्वाद बनी इतराती धूप
बच्चों को कपड़े रंगीन
पहनाकर हर्षाती धूप
मुस्काती है खिड़की पर
जब आ सुबह उठाती धूप
सबके गीले कपड़ों को
सहला ज़रा सुखाती धूप
सुंदर मौसम में खुश-खुश
मेरी पतंग उड़ती धूप
'सुमन' कली में हँस-हँसकर
रंग बनी इतराती धूप