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सर पर चढ़ल आजाद गगरिया / रसूल

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सर पर चढ़ल आजाद गगरिया, संभल के चल डगरिया ना ।

एक कुइंयां पर दू पनिहारन, एक ही लागल डोर
कोई खींचे हिन्दुस्तान की ओर,कोई पाकिस्तान की ओर
ना डूबे,ना फूटे ई, मिल्लत<ref>मेल-जोल </ref> की गगरिया ना । सर पर चढ़ल ....

हिन्दू दौड़े पुराण लेकर, मुसलमान कुरान
आपस में दूनों मिल-जुल लिहो,एके रख ईमान
सब मिलजुल के मंगल गावें, भारत की दुअरिया ना । सर पर चढ़ल....

कह रसूल भारतवासी से यही बात समुझाई
भारत के कोने-कोने में तिरंगा लहराई
बांध के मिल्लत की पगड़िया ना । सर पर चढ़ल....

शब्दार्थ
<references/>