सर से मेरे उनका क्या साया गया
हर तरह से मुझको आजमाया गया
वो गये तो हर ख़ुशी जाती रही
क्या बताऊँ और मेरा क्या-क्या गया
साथ अपने ले गया वो काफिला
मैं गया जिस ओर बस तन्हा गया
घंटों लेके बैठा में कागज कलम
एक मिसरा भी ना यूँ आया गया
घट गई इंसानियत की आबरू
जैसे-जैसे आदमी ऊँचा गया
कौन घंटो बैठ के बातें करें
एक लम्हा याद का आया गया