भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सलाह / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत थके हो तन

हारे अशक्त मन
सो लो !

गुज़री ज़िन्दगी
अजब दुशवार में,
तेज़ चक्रवातों बीच
गूँजते हाहाकार में !

दुखी व्यथित मन,
गहन चोट खाये तन !

खो
याददाश्त,
तनिक स्वस्थ
हो लो !
बहुत थके हो
सो लो !