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सलियो पिरोलियं / मीरा हिंगोराणी
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”गोल गुलाबी ॼमूअ वांगुर,
रहांथोचाश्नीअ जे अंदर,
बदन मुहिंजो गोल-मटोल,
ॿुघायो केरु,
त मिलंदुब टोलु!“
(गुलाब ॼमंू)
सख्त पत्थर जहिड़ो बाहिर,
मक्खणु मलाई नर्मु अंदरि,
मिठायुनि में निराली शानु,
बु-घाइ मुहिजो नालो शाम,
डी-दुसि तोखे झझो इनामु!
(नारेलु)