सलोने प्यार में तेरे जमाना भूल जाती हूँ / रंजना वर्मा
सलोने प्यार में तेरे जमाना भूल जाती हूँ
तुझी से प्यार है बस ये बताना भूल जाती हूँ
सदा खोया हृदय रहता निहारूँ मीत छवि तेरी
रहे तू पास मैं ही पास आना भूल जाती हूँ
अनेकों गीत रच लेती कन्हैया प्यार में तेरे
तुझे जब देखती तो हर तराना भूल जाती हूँ
गरीबी में सभी रिश्ते सहेजे प्यार से लेकिन
अमीरी पा के' रिश्तों को निभाना भूल जाती हूँ
कहूँगी ये कहूँगी वो सदा ही सोचती रहती
ते'रे पर सामने करना बहाना भूल जाती हूँ
चुरा कर बाँसुरी तेरी छिपाये डोलती दर दर
अधर पर रख स्वयं देती सताना भूल जाती हूँ
मिलन की आस में गिरिधर विकल हैं प्राण मन मेरे
चला आ साँवरे तुझ को बुलाना भूल जाती हूँ
नहीं है छोड़ती पीछा बड़ी पापिन है माया भी
उलझ कर मोह बन्धन में छुड़ाना भूल जाती हूँ
मिटेगी बेकली मेरी कभी तू पास आयेगा
इसी उम्मीद में तुझ को रिझाना भूल जाती हूँ
दिया पतवार तेरे हाथ मे घनश्याम बनवारी
पड़ी मंझधार में नैया हटाना भूल जाती हूँ