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सलोने बन्धन / दीप्ति गुप्ता
Kavita Kosh से
दीप गुनगुनाए तो, दीवाली जगमगाई,
रंग गुनगुनाए तो, ली होली ने अँगड़ाई,
भौरे गुनगुनाए तो, कलियाँ खिलखिलाई,
बादल गुनगुनाए तो, बरखा उमड़ आई,
तारे गुनगुनाए तो, निशा उतर आई,
खेत गुनगुनाए तो, सरसों फूल आई,
कान्हा गुनगुनाए तो, राधा दौड़ी आई,
दर्द गुनगुनाए तो, कविता लहर आई!