तेरे न होने का मुझको मलाल एक तरफ
तू मेरा क्यूँ न हुआ ये सवाल एक तरफ़ ?
यकीन मान मैं ख़ुश हूँ मगर तू जब सँग था
वो पल, वह दिन, वह महीना, वह साल एक तरफ
गुलाब पर ये चटख रँग चढ़ेगा कैसे भला?
मैं बैठा सोचने रख के गुलाल एक तरफ
जहान भर के हैं मंज़र मेरी नज़र में मगर
उस एक शख़्स का दिल में ख़्याल एक तरफ
हजार शिकवे-शिकायत मुझे है तुझसे मगर
वो कुछ दिनों की तेरी देखभाल एक तरफ
बुझी हुई-सी ये सिगरेट होट जलते हुए
अब एलबम से ये फोटो निकाल एक तरफ